60-40 नियोजन नीति के विरोध के तहत दूसरे दिन छात्रों ने किया बिष्णुगढ़ मुख्य मार्ग जाम

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*बिष्णुगढ़ :* बिष्णुगढ़ प्रखंड के मुख्य चौक मे झारखंड बंद को लेकर छात्र संघ के बैनर तले सड़क मार्ग को जाम करते हुए सरकार के खिलाफ जम कर नारे बाजी किया, छात्रों ने सरकार से गुहार लगाते हुए कहा की अगर झारखंड के नायक बिरसा मुंडा तथा चुहाड विद्रोह् के महानायक रघुनाथ महतो के सपनो का झारखंड यही है तो नैतिकता के आधार पर हेमंत सोरेन को राज गद्दी छोड़ देना चाहिए, आज जिसके नाम और सपनो पर सरकार बनाई है, उसके सीने अपने ही लोगो द्वारा झारखंड के सीने को चिरते हुए हम नही देख सकते, हमे हमारा हक और बिरसा मुंडा का धरती वापस चाहिये।झारखंडी कौन परिभाषित हो झारखंड अलग हुए 22 वर्ष समाप्त हो गया , लगभग सभी दलों ने हेरा फेरि कर सरकार भी बनाई और गिराई पर जो काम वर्ष 2001 मे हो जाना चाहिए था आज तक नही हुआ, इसी का मलाल है , आखिर क्यों और किस कारण मूल निवासी को परिभाषित अब तक नही किया गया.छात्रों ने कहा की झरखंडियो के हक और अधिकार को यूपी और बिहार के हाथो बेचा जा रहा है जिसके खिलाफ आवाज उठाने की जरूरत है, नही तो सब कुछ बर्बाद हो जायेगा।हमारे पूर्वजो ने झारखंड के लिये लड़ा, हम बचायेंगे- छात्र संघ छात्र संघ के नेताओं ने कहा कि हमारा पूर्वज झारखंड अलग राज्य के लिए कुर्बानी दी ताकि हमारा आने वाला भविष्य खूबसूरत हो जबकि उसका उलट आज का झारखंड बदबूदार लगने लगा है और हो भी क्यों ना जितनी भी बहालिया ली जा रही है लगभग 70% यूपी बिहार बंगाल उड़ीसा के लोग शामिल हो जा रहे हैं

यहां के युवा पढ़ लिखकर मजबूरन विदेशों में काम करने के लिए जा रहे हैं जहां से लगभग प्रत्येक सप्ताह एक ना एक प्रवासी मजदूरों की लाशें आ रही है क्या यही है अबुआ राज का सपना छात्रों ने अपनी भड़ास निकालते हुए हेमंत सरकार के खिलाफ खूब भड़ास निकाला और आने वाले समय में इससे भी बड़ा आंदोलन का रूपरेखा तैयार करने की बात कही अगर सरकार नहीं सुनती है तो सरकार बदलने के लिए तैयार रहें मौके पर मौजूद झारखंड बंदी में फंसे यात्रियों ने भी इस बंदी को साथ दिया और कहा की एक दिन की बंदी नहीं बल्कि महीनों की बंद करनी पड़ी तो हम साथ हैं पर झरखंडियो के प्रति न्याय हो।सरकार 60/40 नीति को वापस ले और झारखंडी युवा छात्रों को सम्मान दें। मौके पर महेंद्र महतो, कुंजबिहारी महतो, बादल बाबू, चेतलाल महतो, भागीरथ कुमार महतो, प्रकाश महतो, नागेश्वर कुमार, प्रकाश साव, कालीचरण महतो, उमेश महतो के अलावे सैकड़ो छात्र थे।

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